जमीन कहां है बताइये, साइन कर देंगे
एस.ए.शाद, पटना : यह मंत्र मैं सतत याद रखता हूं कि हवा, पानी और सूर्य की रोशनी के समान जमीन भी भगवान की देन है। अत: उसपर सभी का अधिकार है। --- संत विनोबा भावे उनकी इसी सोच ने देश में व्यापक रूप लेकर लाखों गरीबों के मन में एक उम्मीद जगाई। परन्तु कुछ सपने कभी सच नहीं होते। संत की संवेदना पर सरकारी तंत्र की बेरुखी हमेशा की तरह हावी हो गयी। बड़े उत्साह से उन्होंने प्रदेश में भी भूदान आंदोलन चलाया। देने वालो ने दिल खोल कर जमीन दान दी। परन्तु इस आंदोलन से मिली 2.62 लाख एकड़ जमीन हवा हो गयी। इनका अता-पता भूदान यज्ञ समिति 55 सालों बाद भी मालूम नहीं कर सकी है। भूदान आंदोलन में संत विनोबा भावे को प्रदेश में बहुत सम्मान मिला। भूदान के लिए सरकार ने 1954 में अलग से कानून बनाया। गरीब भूमिहीनों में बांटने के लिए भूदान में 6.48 लाख एकड़ जमीन दान स्वरूप मिली। परन्तु इसमें से 2.62 लाख एकड़ जमीन कहां है, यह भूदान यज्ञ समिति अब तक पता नहीं लगा पाई है। संत की एक अपील पर उदारता दिखाते हुए हथुआ महाराज ने पचास के दशक में एक लाख एकड़ जमीन दान में दी। दरभंगा महाराज ने तो और भी दरियादिली दिखाते हुए 1.25 लाख एकड़ भूमि दान की। इसी प्रकार भागलपुर के राजा कुमार कृष्णानंद सिंह ने पांच हजार एकड़ भूमि दान में दी। लेकिन जिन गरीबों के लिए इतने बड़े- बड़े दान किए गए, उनके बीच इसका पूरा वितरण आज भी नहीं हो सका है, भले ही दान करने वालों को इस असफलता की पीड़ा सताती हो। हथुआ महाराज ने गोपालगंज में एक लाख एकड़ भूमि दान में दी थी जिसमें से केवल 20 हजार एकड़ भूमि का ही विवरण मिल सका है। उनके वंशज दान में दी गयी जमीनों केगरीबों तक न पहुंचने को लेकर आज भी चिंतित हैं। समिति के वर्तमान अध्यक्ष शुभमूर्ति जब उनसे मिलने गए तो उन्होंने हर सहायता का आश्र्वासन दिया। उन्होंने दो टूक कहा-जमीन कहां है, हमें बताइए, हम तुरंत साइन कर देंगे। शुभमूर्ति के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है। गरीबों के लिए दान में मांगी गयी जमीन नक्शे से कहां गायब हो गयी इसके बारे में सरकार ने भी कोई ध्यान नहीं दिया। वर्ष 1954 से लेकर 1975 तक प्रदेश में समिति ने दान में प्राप्त 6.42 लाख एकड़ जमीन में से 2.5 लाख एकड़ भूमि का वितरण किया। लेकिन इमरजेंसी के बाद से अब तक समिति भूमिहीनों तक नहीं पहुंच पायी। प्रदेश के विभिन्न जिलों में ऐसे अनेक भूखंड हैं जिनकी सूची तो समिति के पास हैं, परन्तु इसके नक्शे, खाते, खसरे (जमीन के दस्तावेज ) आदि नहीं मिल पाए हैं। यह जमीन किसके कब्जे में है यह भी समिति को पता नहीं। चौंकाने वाल बात तो यह है कि पिछले तीन दशकों में ग्रामीण इलाकों में जमीन को लेकर हुई हिंसक घटनाओं और गरीबों पर अत्याचार के बावजूद भूदान यज्ञ समिति को उपलब्ध फिलहाल 92 हजार एकड़ भूमि का वितरण भूमिहीनों में नहीं किया गया है। क्रमश:
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