दो गैराज मिस्ति्रयों ने बिगाड़ी पूर्वाचल की तस्वीर
आनन्द राय, गोरखपुर देश भर में आतंकी विस्फोट के चलते आजमगढ़ का नाम सुर्खियों में है। पूर्वाचल का यह जनपद अब आतंक के पावर हाउस के रूप में उभरा है। जागरण ने 19 अगस्त 2001 को ही अबू और दाऊद ने आजमगढ़ में देशद्रोहियों की फौज खड़ी की शीर्षक से एक रपट प्रकाशित की। इसमें यहां आतंकी प्रशिक्षण देने का उल्लेख था। सच कहें तो आजमगढ़ ही नहीं पूरे पूर्वाचल में आतंकवाद की जड़ें गहरा गयीं हैं। दो गैराज मिस्ति्रयों ने देशद्रोही ताकतों के हाथों का खिलौना बनकर पूर्वाचल की तस्वीर बिगाड़ दी। पूर्वाचल में आतंक की आमद के मुख्य सूत्रधार रहे मिर्जा दिलशाद बेग और अबू सलेम का कैरियर गैराज मिस्त्री से शुरू हुआ। अण्डरवर्ल्ड और आईएसआई के हाथों की कठपुतली अबू सलेम आजमगढ़ के सरायमीर का रहने वाला है जबकि मरहूम मिर्जा दिलशाद वेग का पैतृक गांव देवरिया के रुद्रपुर क्षेत्र का भैंसही है। अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वंस के बाद जब आतंकी गतिविधियां तेज हुई तब पहला धमाका 26 जनवरी 1993 को गोरखपुर के मेनका थियेटर में हुआ। मिर्जा दिलशाद बेग, गोरखपुर के गामा, नफीस और जिलानी द्वारा कराये इस विस्फोट में दो लोग मारे गये और कई घायल हुए। कोतवाली थाने में दर्ज मुकदमे की तफ्तीश में तब यह बात आयी कि दाऊद और आईएसआई के हाथों में खेल रहे मिर्जा ने गोरखपुर, आजमगढ़, देवरिया समेत पूर्वाचल के कई जिलों के युवाओं को आतंकी गतिविधियों से जोड़ दिया है। 17 दिसम्बर 1996 को जब काठमाण्डू के एक होटल से 20 किलोग्राम आरडीएक्स के साथ मंजूर अहमद नामक युवक की गिरफ्तारी हुई तब उसने पूर्वाचल में आतंक फैलाने की मिर्जा की योजनाओं का खुलासा किया। जिंदा रहने तक मिर्जा ने मुम्बई बम काण्ड से लेकर अण्डरवर्ल्ड के भगोड़ों को नेपाल में पनाह दी और पूर्वाचल में कई आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिलाया। अबू सलेम के माध्यम से आजमगढ़ के कई युवक गुनाह के दलदल में चले गये। यहीं के सादिक, इश्तियाक समेत कई लड़कों की गिरफ्तारी अबू का साथ निभाने में हुई। 19 अगस्त 2001 को जागरण में छपी रिपोर्ट में आजमगढ़ में सिमी की गतिविधियों और आतंकी प्रशिक्षण का भी उल्लेख है। यह भी कि 1984 में ही आजमगढ़ जिले के घोसी कोतवाली के मानिकपुर ... शेष पृष्ठ 16 पर
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