रविवार, 28 सितंबर 2008

  1. संस्थापक ने सिमी से पल्ला झाड़ा
    : प्रतिबंधित स्टू़डेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (सिमी) के संस्थापक अध्यक्ष ने संगठन से पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि उन्हें इसकी मौजूदा गतिविधियों के बारे में कुछ भी मालूम नहीं है। उनका कहना है कि दिल्ली में रह रहे सिमी के कई पूर्व अध्यक्ष इसके बारे में बेहतर जानकारी दे सकते हैं। भारत छोड़कर अमेरिका में बस गए डा. मुहम्मद अहमदुल्ला सिद्दिकी अब वहां सक्रिय हैं। उन्होंने नार्थ अमेरिकन एसोसिएशन आफ मुस्लिम प्रोफेशनल्स एंड स्कालर्स की स्थापना की है जिसके संस्थापक सदस्य होने के साथ ही वह सचिव भी हैं। करीब तीन दशक पहले मुस्लिम समुदाय को शिक्षित और प्रबुद्ध बनाने के मकसद से उन्होंने भारत में सिमी की स्थापना की थी। पुलिस के अनुसार अब सिमी दो भागों में बंटकर आतंकवाद का पर्याय बन चुका है। भारत में हाल में हुए कई सिलसिलेवार बम विस्फोटों में इससे निकले इंडियन मुजाहिदीन का हाथ बताया जाता है। इस एजेंसी ने सिद्दिकी को ई मेल के जरिये कुछ सवाल भेजे थे जिसका उन्होंने संक्षिप्त जवाब भेजा है। इन सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि आपके ई मेल के लिए धन्यवाद। मैं दो दशक से ज्यादा से सिमी के संपर्क में नहीं हूं। मैं नहीं जानता कि (विस्फोटों के) आरोप सही हैं या नहीं। अमेरिका के मैकोम्ब में वेस्टर्न इलिनोइस यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता और जनसंपर्क विषय के प्रोफेसर सिद्दिकी ने कहा कि मैं आपके सवालों का जवाब नहीं दे पाऊंगा। उन्होंने हालांकि कहा कि दिल्ली में सिमी के कई पूर्व अध्यक्ष हैं। वे मुझसे बेहतर तरीके से (सिमी के बारे में) रोशनी डाल सकते हैं। उन्होंने 1977 में अलीगढ़ में सिमी की स्थापना की थी। सिद्दकी जनसंचार में स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने के लिए 1980 में अमेरिका पहुंचे। उन्होंने यूनिवर्सिटी आफ इलिनोइस से यह पढ़ाई की। उसके बाद 1987 में टेम्पल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। इससे पहले उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में पीएचडी किया। सिद्दीकी को सवाल देशभर में हाल में हुए विस्फोटों खासकर राजधानी में 13 सितंबर के सिलसिलेवार विस्फोटों के षडयंत्र के शक की सुई सिमी के इर्द गिर्द घूमने और 19 सितंबर को राजधानी दिल्ली में संदिग्ध सिमी कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस मुठभेड़ के बाद भेजे गए थे।

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